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हिंदू मान्यताओं और
वैदिक परम्परा के अनुसार
पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक होता है, जब वह अपने जीवित माता-पिता की सेवा करें और उनके मरणोपरांत उनकी बरसी पर तथा पितृपक्ष में उनका विधिवत श्राद्ध करें।
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विद्वानों
के मुताबिक
किसी वस्तु के गोलाकर रूप को पिंड कहा जाता है। प्रतीकात्मक रूप में शरीर को भी पिंड कहा जाता है। पिंडदान के समय मृतक की आत्मा को अर्पित करने के लिए जौ या चावल के आटे को गूंथकर बनाई गई गोलाकृत्ति को पिंड कहते हैं।
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श्राद्ध की मुख्य विधि
में मुख्य रूप से तीन कार्य होते हैं
पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज। दक्षिणाविमुख होकर आचमन कर अपने जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर चावल, गाय का दूध, घी, शक्कर एवं शहद को मिलाकर बने पिंडों को श्रद्धा भाव के साथ अपने पितरों को अर्पित करना पिंडदान कहलाता है।
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यहां की वेदियों में
विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना जरूरी माना जाता है।
इसके अतिरिक्त वैतरणी, प्रेतशिला, सीताकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, मंगलागौरी, कागबलि आदि भी पिंडदान के लिए प्रमुख है। यही कारण है कि देश में श्राद्घ के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है जिसमें बिहार के गया का स्थान सर्वोपरि है।
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पिंडदान के लिए सर्वोत्तम स्थान है गया
Shri Shambhu Damodran Rao
- Brahmin Shradhm
- --> Parvan, Hom Shradhm
- --> Hiranya Shradhm
- Non-Brahmin Shradhm
- --> Aam Shradhm
- --> Hiranya Shradhm
- --> Purvjanam Sankal Pam Shradhm
Welcome!
In Gaya, Shradh can be done all the year but it is better to perform Gaya Shradh (Shraddha) or Pinda Daan during auspicious 18 days pitri paksh mela or 7days, 5days, 3days or 1 day amawasya with krishana paksh in any month.
The auspicious 18 days Tri paksha sraddha or Pitripaksha mela, that is considered best days for offering oblations to the depared forefathers or any departed Family members,And this Auspicious 18 days comes in every year in the month of September or October. And,An estimated 6,00,000 to 8,00,000 pilgrims arrive in the Gaya city during the Pitripaksh Mela for GayaJi sraddha or Pind Daan. more
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Our History
When actually Lord Rama Chandra came to Gaya to offer Pind Daan (Pind Dan) to his Father Dashratha? It is believed that Rama belonged to Treta Yuga,This yuga covered 12,96,000 mortal years. After Treta,came Dwapar yuga covering 8,64,000 mortal years.This is the kali yuga.The period is to cover another 4,32,000 mortal years.In such a situation Rama came to Gaya for offering oblation to his deceased father more than 12 lakh years ago.And the Pinda Daan in Gaya practice for the salvation of a soul was in vogue since long and still continues to be an integral part of Hindu Mythology. more